वानिकी विभाग:
गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना 1 दिसंबर 1973 कोउत्तरप्रदेशराज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के प्राविधानों के तहत् की गईथी। 1989 मेंविश्वविद्यालय का नाम देश के एक अग्रणी राजनेता श्री हेमवती नंदन बहुगुणा की स्मृित में रखा गया तथा 2009 में केंदªीय विश्वविद्यालयों के अध्यादेश के तहत् गढ़वाल विश्वविद्यालय कोकेंदªीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।
वानिकी एक विषय के रूपमेंहिमालय मेंवनों के सामाजिक,आर्थिकऔरसांस्कृतिकमहत्वको ध्यानमें रखतेहुए विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से हीशिक्षणकार्यक्रम का हिस्सारहाहै।पारंपरिकविश्वविद्यालयोंमेंसिर्फ गढ़वालविश्वविद्यालय का वानिकीविभागआठसेमेस्टरमेंचारसाल के अंड़रगे्रजुएटफाॅरेस्ट्रीड़िग्रीकोर्सऔरचारसेमेस्टर के साथदोसाल के पोस्टग्रेजुएटफाॅरेस्ट्रीड़िग्रीकोर्ससंचालितकरताहै।
विगत 25 वर्षा ेंमें विभाग ने एक छोटीइकाईहोतेहुए भी वानिकी के कई क्षेत्रोंमेंमहत्वपूर्ण योगदानदियाहै।जिसमेंहिल एग्रोफाॅरेस्ट्रीसिस्टमऔरबहुउद्ेशीय वृक्ष प्रजातियों के बीजोंपरवृहद शोध कार्य शामिलहै।राष्ट्रीय वानिकीअनुसंधान योजना(2020-2030) के अनुपालनमेंविभाग ने अपनीपंचवर्षीय योजनामेंजलवायुपरिवर्तन एवं बढ़ती आबादी के परिपेक्ष मेंवन,मानव एवंआजिविकाविकास से सबंधितमुदृोंजैसेksatSlsEcosystem Goods and Services; Community Forest Management; Hill Agroforestry mapping and model development; NTFPs resource based livelihoods and economic growth; Resource development of high value medicinal tree species; Agroecology and crop diversification; Forests and climate change; Forest governance and women; Role of microbes in soil fertility (bio fertilizers) vkSj Natural Resource Management कोविशेष रुप से शामिल किया है।
शिक्षा एवंअनुसंधानके क्षेत्र मेंविभाग के योगदानको देखतेहुए विभिन्नराष्ट्रीयसंस्थाओंने विभागकोवित्तीयसहायताप्रदान की है।इसकेअलावाविभागकोमजबूतकरने के लिए 1995 से भारतीय वानिकीअनुसंधानऔरशिक्षा परिषद;प्ब्थ्त्म्द्धएदेहरादून द्वारानिरंतरवित्तीय सहायताप्रदान की जारहीहै। 2007 मेंविभाग के शैक्षणिक योगदान के महत्वकोभीक्ैज्.थ्प्ैज्द्वारामान्यताप्रदानकरतेहुए विभाग के सुदृढ़ीकरणमेंवित्तीय सहायताप्रदानकी।विभागकोप्प्त्ैदेहरादून ने विश्वविद्यालय स्तरपररिमोटसेंन्सिग एवंजीआई एस के कोर्ससंचालितकरने के लिए नोड़लसंस्थाबनायाहै।विभाग ने 1300 मी02क्षेत्रमेंमृदा, जल, बीज एवंपादपगुणवताजाॅच की प्रयोगशालाऐंस्थापित की है।विभाग केपुस्तकालयमेंवानिकी से समबन्धितमान्यताप्राप्तपुस्तकों के अतरिक्तराष्ट्रीय एवंअंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं के नवीनत्तमसंस्करणउपलब्ध होतेहैं।अच्छीइंटरनेटसुविधाओं के साथविभाग के पासकमप्यूटरअनुभागभीहैंजिनमेंआंकड़ों के विश्लेषणहेतूनवीनत्तमसाॅॅॅॅफ्टवेयरजैसेैच्ैैए ।त्ब्ळप्ैए म्त्क्।ैए ळप्ै ंदक त्ैआदिसुविधाऐंहै।विभाग के पास 53 छात्रों की आवासीय सुविधा के साथछात्रावासउपलब्ध है।
वर्तमानमेंविभाग के पास 08 कुशलशिक्षकों (03 प्राध्यापक, 01 सह-प्राध्यापक एवं 04 सहायकप्राध्यापक) के अलावा 07 कर्मचारी (02प्रयोगशालासहायक, 01 एमटीएसऔर04प्रक्षेत्र सहायक) हैं।वर्ष 1988-89 मेंवनअनुसंधान के क्षेत्र मेंउत्कृष्ट योगदान के लिए एक संकाय सदस्य केाभारतीय वनिकीअनुसंधानपरिषद द्वारासम्मानितकियागयाहै।
विभाग द्वारा 30 से अधिकशोध छात्रोंकोपीएचडी की डिग्रीप्रदान की जाचुकीहै।03 शोध छात्रों का चयनभारतीय कृषिअनुसंधानवैज्ञानिकबोर्डमेंवैज्ञानिक के पद परतथा 18 से अधिकछात्रों ने भारतीय कृषिअनुसंधानपरिषद द्वाराआयोजितराष्ट्रीय पात्रतापरीक्षा ;छम्ज्द्धउत्तीर्ण की है।वानिकीके छात्रोंने कईप्रतिष्ठितसरकारीसंस्थाओंएवंगैरसरकारीसंगठनोंमेंविभिन्नपदोंपरनियुक्तियांप्राप्तकीहै।
विभाग के संकाय सदस्योंनेksausDBT, MNES, New Delhi; MoEF, New Delhi; DST, New Delhi; CSIR,New Delhi; ICAR, New Delhi; MRD, New Delhi; MoA, New Delhi; ICFRE, Dehradun आदिसंस्थाओंद्वारावित्तपोषितशौध परियोजनाओंके संचालन एवंन्ण्च्ण् थ्वतमेजक्मचंतजउमदजए छभ्च्ब्ए छज्च्ब्ए ैश्रटछस्ए न्श्रटछस्आदिमेंपरामर्शदाता के रुप मेंवित्तीय सहायताप्राप्त की है।विभाग ने 01 अंतराष्ट्रीय, 07 राष्ट्रीय कार्यशालायें एवं 02 प्रशिक्षणकार्यशालायेंआयोजित की हैं।विभागके संकाय सदस्यों द्वारा400 से अधिक शोधपत्र राष्ट्रीय एवंअंर्तराष्ट्रीय पत्रिकाओंमेंप्रकाशितकियेजाचुकेहैं।
शिक्षणअनुसंधान एवंपरामर्शकार्यों के अलावाविभागवानिकी से संबंधित क्षेत्र विस्तारकार्यक्रमोंमेंभीलगाहुआहै।विभाग ने विश्वविद्यालय के चैरासमेंविभागमेंपरिसरमें 01 हेक्टेयरपौधशाला एवंलगभग 200 हेक्टेयरसामुदायिकभूमिमें वृक्षारोपणमाॅड़लविकसितकियाहै।औरउत्तराखंड़ के दूरदराज के क्षेत्रोंमें 24 पर्यावरणजागरूकताशिविरआयोजितकिए हैं।
विभाग ने वानिकी एवंप्राकृतिकसंसाधनोंपरशिक्षण एवंअनुसंधान के विनिमय कार्यक्रमों के संचालन के लिएअंर्तराष्ट्रीयसंस्थाऐंजैसेन्।थ्ैए त्वजजमदइनतहए ळमतउंदलएएवं प्ब्त्।थ्ए ैवनजी ।ेपंए छमू क्मसीपके साथसमझोतापत्रोंपरहस्ताक्षरकिए है।वानिकीप्रसार के अन्र्तगतस्थानीय स्तरपरग्रामिणों की बंजरभूमिकोबहुदेशीय वन के रुप मेंविकसितकरनेहेतूजिलाटिहरीमेंग्रामिणों के साथ एक समझौतापत्र परभीहस्ताक्षरकियेहंै।